युवा दृष्टि...
हर देश के इतिहास का निर्माण युवाओं ने ही किया है। इतिहास को उठाकर देख लो राष्ट्रों की भाग्यलिपियों को युवाओं ने ही अपने रक्त की स्याही से लिखा है। किन्तु स्वस्थ तन,स्वस्थ मन तथा स्वस्थ चिंतन का आधार न लेकर आज देश के युवावर्ग में जो अनुशासनहीनता,दिशाहीनता,विद्रोह,अपराधी मनोवृति व प्रलोभनों के प्रति सहज समर्पण दिखाई दे रहा है वह आने वाले भीषण संकट का संकेत है। अनुशासित, शिक्षित, स्वाभिमानी, जागरूक व निष्पक्ष चिंतन ही युवावर्ग को सही पथ पर ला सकता है। मैं सोचता हूँ कि भारतीय समाज कि अधिकांश समस्याएँ युवाओं की समस्याएँ हैं। देश के सामने उपस्थित इन चुनौतियों का सामना कौन करे ? युवावर्ग !! क्या देश ने युवावर्ग को इस योग्य बनाया है ? युवावर्ग पर दोषारोपण करने वाले लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि अपने तुछ स्वार्थों की सिद्धि के लिए इस युवावर्ग को पथभ्रष्ट, अनुशासनहीन एवं अयोग्य बनाया है। वृद्धपीढ़ी को चाहिए कि युवावर्ग के सामने आचरण का आदर्श रखे उसे केवल अपनी कुर्सियों की सीढ़ी एवं तिजौरियों का पहरेदार बनाकर ना रखे। मैं तो युवावर्ग की बात युवावर्ग से कहना चाहूँगा और आशा करूँगा कि वे ऐसा व्यवहार करने का संकल्प करेंगें जो उन्हें भारत देश के प्रति किसी भी अपराध का भागी नहीं होने देगा। स्मरण रहे स्वतंत्रता एवं संप्रभूता युवावर्ग के पास ही रहती है जो देश व उसकी हर चीज के प्रति समर्पित रहते हैं और तदनुरूप आचरण करते हैं। जो अपने देश से प्रेम नहीं करता वह किसी से भी प्रेम नहीं कर सकता। मेरी हार्दिक कामना है कि हमारा युवावर्ग देश के नाम पर सर्वस्व त्याग को अपने जीवन की सार्थकता समझें। रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है कि :- मानव जब जोर लगता है, पत्थर पानी बन जाता है, खंभ ठोक ठेलता है नर,पत्थर के पांव ऊखड़ जाते हैं। अंत में,मैं कहना चाहूँगा कि युवाशक्ति उस नदी की धारा के समान है जो अपने मार्ग पर चले तो खेत-खलियानों में हरियाली उत्पन्न कर राष्ट्र के मन को हर्षित कर सकती है और यदि पथ बदल ले तो विनाश कर सकती है। युवाशक्ति वह शक्ति है - जो थार मे जलधारा ला सकती है, पत्थर पर फूल खिला सकती है!! मेरी आज के सभी युवा साथियों से अनुरोध / आग्रह है की वो डेन नेटवर्किंग से जुड़े और समाज /समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाये आपका अपना विनोद रोयल
0 Comments
|
AuthorDEN Members ArchivesCategories |